मंगलवार, 16 फ़रवरी 2010

आधुनिकता की अंधी दौड़

कुछ दिनों पहले मैं अपने शहर पटना जा रहा था. मैं अपनी ट्रेन के नियत समय से पहले नयी दिल्ली स्टेशन पहुँच गया. ट्रेन भी अपने नियत समय से प्लेटफ़ॉर्म पर आ गयी और मैं ट्रेन के अन्दर दाखिल हो गया. मैंने अपना सामान अपने सीट के अन्दर अच्छी ढंग से डाल के अपने बैग से एक किताब निकाल कर आराम से बैठ गया. थोड़ी ही देर में ट्रेन नयी दिल्ली स्टेशन से निकल पड़ी और मैं भी अपने किताब के पन्नों में इस तरह व्यस्त हो गया कि मेरे आस-पास कौन आ कर बैठा है ये भी सुध मुझे नहीं रही. तभी थोड़ी देर बाद मेरे कानों में कुछ मीठी सी ध्वनि आई तो मैं नज़र घुमा के देखता हूँ कि मेरे बगल में एक लड़की बैठी हुई है और वो अपने मोबाइल फ़ोन पर किसी से बातें कर रही थी. दिखने में ख़ूबसूरत थी और किसी संभ्रांत परिवार कि लग रही थी और फैशन का मतलब उसे अच्छे ढंग से पता था ये उसके पहने हुए कपड़ों से प्रतीत हो रहा था. उसकी खूबसूरती और फैशनेबल कपड़ों का अंदाजा आप इससे ही लगा सकते हैं कि हमारे सीट के पास से गुजरने वाला हर व्यक्ति उसे अपनी भरपूर नज़रों से देख लेना चाहता था. एक चीज़ और मैंने गौर किया, कि कोई भी जब वहां से गुज़रता था तो उसकी गति हमारी सीट के पास आते ही धीमी हो जाती थी पर ऐसा लग रहा था वो लड़की इन सब चीजों से परवाह किये बिना लगातार फ़ोन पर बातें किये जा रही थी. उसकी उम्र ज्यादा से ज्यादा 19 साल कि होगी और उसकी बातों से मुझे लगा कि वो पटना कि ही रहने वाली है और दिल्ली विश्वविद्यालय के किसी महाविद्यालय में पिछले साल ही दाखिला लिया है. मतलब करीब एक साल पहले दिल्ली आई है. उसकी बातचीत से मुझे पता चला कि वो अपने Ex Boy Friend से बात कर रही थी. जिससे उसका सम्बन्ध विच्छेद, अंग्रेजी में कहें तो break-up हो चूका था. दोनों के बीच ज़बरदस्त शीत युद्ध चल रहा था. लड़की भी उसे डांटने के अंदाज़ में उससे बात कर रही थी. बात जब ज्यादा बढ़ गयी तो उसने फ़ोन काट दिया और फिर दूसरा नंबर ड़ाल किया. ये उसके वर्तमान Boy Friend का था. फिर से बातों का सिलसिला शुरू हो गया. बातचीत के दौरान ही लड़की अपने Boy Friend को प्यार कि कसौटी पर मापना शुरू कर दिया और घंटों तक वो फ़ोन पर लगी रही. कभी नेटवर्क कट जाता कभी लाइन नहीं मिलती पर वो लगातार बातें करती जा रही थी.

सच बताऊँ तो मेरी आँखें फटी की फटी रह गयी थी उस लड़की की उम्र और उसके क्रिया-कलाप देख कर. उसकी उम्र १९ साल से ज्यादा नहीं होगी, एक साल पहले दिल्ली आई है और इस दौरान एक के बाद दूसरा Boy Friend. यह सब देख कर मुझे लगा की ये कैसी आधुनिकता की अंधी दौड़ है जिसमे हमारा युवा वर्ग भाग रहा है और हर किसी को अव्वल आने की तमना है. क्या यही भारत की सभ्यता संस्कृति है जिसे विदेशी आ कर अपनाना चाहते हैं, क्या यही युवा वर्ग हमारे देश का भविष्य हैं? देश पर आजादी के लिए कुर्बान होने वाले शहीद अगर ये सब देख रहे होंगे तो उनके मन में भी यही सवाल आ रहा होगा की "क्या यही है आजादी का मतलब?"

ये सिर्फ उस लड़की की बात नहीं है, आज का हर युवा इस अंधी दौड़ में भाग रहा है. अगर आपके पास Boy Friend या Girl Friend नहीं हैं तो आप पिछड़े हुए हैं, आपकी हसी उड़ाई जाएगी दोस्तों के बीच. क्या इसलिए हमें आजादी मिली थी? अगर युवा वर्ग ऐसा हो रहा है तो ये अत्यंत ही चिंताजनक बात है. क्यूंकि भविष्य में राष्ट्र निर्माण का जिम्मा इन्ही के हाथ में है. इसलिए मेरा अनुरोध है हिन्दुस्तान के युवावर्ग से की आप छणिक आत्मसंतुष्टि को छोड़ कर आत्मनिर्माण में अपना ध्यान लगायें. क्यूंकि हम आत्मनिर्माण के बाद ही राष्ट्रनिर्माण के बारे में सोच सकते हैं और अगर हम युवा वर्ग अपनी सोच बदलेंगे तभी अपना देश विकासशील से विकसित की कतार में आ पायेगा.

8 टिप्‍पणियां:

  1. tum waha ka bat karte ho yaha patna me v to yahi ho rha hai. next time jub patna aana to ek bar apne purane college me ghum lena.

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  2. i know that so i m not only talking about patna, delhi or chenai. i m talking about all india. if indian youngsters will think about it, thn we can change the image of india....

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  3. It seems you missed the train dude that is why u r so senti .. its not too long that we used to do the same thing in a different style .. but yes as you mentioned now a days thigs have changed and Modernization has become a synonym of shamless.

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  4. Nice thoughts but if one gets another brain n support in their life as G.frend or b.frend and he or she is equally participatin and supporting in building the foundation of your career n life then no harm in this culture

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  5. aapki soch achchi hai,
    but ye achchi baat nahi hai ki aap kisi aur ki baate sun rahe the,

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  6. jitender ji, ye tab tak buri baat hoti hai jab tak aap kisi ki baaten sun rahe hote hain, par jab koi apni awaz itni tez karke baat kare ki aap use ansuna nahi kar sakte hain to shayed ye buri baat nahi hai.

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  7. Your teenage is over buddy...having fun is not bad till it affects your career.

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  8. i just want to tell u vikash, if teen age will be like this thn u can understand about youngester & want to tell u one more thing that we r not in USA. we r in India so we should be in indian culture. as u know excess in always bad.

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