सह लिया था वह दुर्दिन हमने
जब छिना था तूने ताशकंद में भारत के लाल को
विस्मित हो गया हूँ यह जान कर
करके विस्फोट कर दिया अशांत भारत के भाल को
जान कर आज तक अनजान रहा
यह सोच कर की मिट न जाये देश से मानवता
कहलाते हो पाक पर तेरे इरादे कितने हैं नापाक
मिट ना पाई अबतक तेरे मन की दानवता
खंड खंड करके कश्मीर तो जलाया तूने
जला तो दिया था पंजाब भी
महाराष्ट्र में भी दिखाई अपने लपट तूने
देखो भष्म करना चाहा बंगाल भी
ऐ हिन्द वासियो आगे बढ़ो अपनी हूंकार से
बाधा लो भूगोल अपने हिन्दुस्तान का
बेशर्म आतंक का जो बन चूका है आज पर्याय
मिटा दो नाम उस कलंकी पकिस्तान का
agar tune likha hai to manna padega tere talent ko.. kahan chupa kar rakha tha..
जवाब देंहटाएंBut shaant ho ja gadadhari bheem :)
arre bhai, abhi tak bas isse apne diary ke panno mei sahej kar rakhta tha, par aaj aam janta ke saamne le kar aa raha hoon...
जवाब देंहटाएंgood going.. that is what today's era is all about [:)]
जवाब देंहटाएंnice articles and poem....... and true......
जवाब देंहटाएंgud tum poet v ho
जवाब देंहटाएंthnx ambar, surbhi & ishita
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