गत दिनों मैंने मास्को ब्लास्ट के बारे में देखा तो मेरे दिमाग में एक ही बात उस समय से आ रही है कि आखिर कब तक इस्लाम के नाम पर ये हत्याएं होती रहेंगी, क्या कोई धर्म ये बताता है कि जो इनके अनुयायी नहीं हैं उनकी हत्या कर दो. मेरा ज्ञान जहाँ तक कहता है कि, कोई भी धर्म ऐसी शिक्षा नहीं देता है और फिर भी इन्हें सही ठहराने वाले आपके आस-पास बहुत मिल जायेंगे. मेरे विचार से शायद जिस विवाद से सम्पूर्ण विश्व बचना चाह रहा है उस पर खुल कर बहस करने का सही वक्त आ गया है. ये मुद्दा अब समूचे संसार के सामने बहस का मुद्दा है "इस्लाम और आतंकवाद"
यह बिलकुल सही है कि "हर मुसलमान आतंकवादी नहीं होता है, पर हर एक पकड़ा जाने वाला आतंकवादी मुसलमान ही क्यूँ होता है" अगर हम कुछ एक उदाहरण को नज़रंदाज़ कर दें तो. दुनिया का हर देश इस्लाम आतंकवाद का दंस झेल रहा है. यह सवाल हर किसी के मन में हर वक्त आता है पर आज तक इसपर खुल के बहस करने से हर कोई कतराता हैं. अब शायद समय आ गया है की इस पर हम खुल के बात करें. क्यूंकि ये बहुत ही पुरानी कहावत है की 'करे कोई और भरे कोई'. इसलिए ये आतंकवादी संगठन इस्लाम के नाम पर दरिंदगी तो कर देते हैं हैं, पर इसका भुगतान हमारे निर्दोष मुसलमान भाइयों को भुगतना पड़ता है. अल-कायदा जिस ट्विन टावर को उड़ा कर 9/11 का जश्न मना रही थी, क्या उसके बाद उन्होंने देखा की वहां पर अमरीकी पुलिस ने कितने निर्दोष मुसलमानों को सलाखों के पीछे कर दिया. हज़ारों-हज़ार की संख्यां में निर्दोषों की गिरफ्तारियां हुई थी. कुछ तो रिहा होने के बाद भी अब तक अपनी सामान्य ज़िन्दगी नहीं जी पा रहे हैं. क्या यही ट्विन टावर उड़ने की उपलब्धी गिनाती है ये अल कायदा. इन्हें इन सब बातों से कोई फर्क नहीं पड़ता है. आज इन लोगों ने आम मुसलमानों की ये हालत बना दी है की अगर आपका नाम अहमद, आरिफ, खान, अली या ऐसा कुछ भी है तो आपको शक की निगाह से देखा जाता है. अगर आप भारत से बाहर किसी अंग्रेजी देश की यात्रा पर हैं तो हवाई अड्डे पर जाँच दल सामान्य से ज्यादा आपकी तलाशी लेंगे. इसका सबसे बड़ा उदहारण हाल ही में शाहरुख़ खान की शिकागो हवाई अड्डे पर हुई घटना से लगा सकते हैं. जहाँ जाँच दल अधिकारी ने उन्हें घंटों बिठा कर रखा था.
वैसे सच्चाई ये भी है की लादेन जैसे आतंकवादियों को सही मानने वालों की कमी भी इस संसार में नहीं है. शायद आप सब भी मेरे इस बात से सहमत ही होंगे. क्यूंकि अगर इन्हें मानने वालों की कमी होती तो इनकी तायदाद दिन ब दिन बढती नहीं जाती. इनके लिए हर कोई फिदायीन या मानव बम बनने को तैयार नहीं रहता. अभी मास्को ब्लास्ट में भी मानव बम का ही इस्तमाल किया गया था. लेकिन मैं इस्लाम की लड़ाई लड़ने वाले आतंकवादियों से पूछना चाहता हूँ की जहाँ आप ब्लास्ट करते हैं वहां क्या कोई मुसलमान नहीं मारा जाता? शायद आपको अब तक याद होगा कि गत वर्ष पकिस्तान के एक फाईव स्टार होटल में जबरदस्त ब्लास्ट हुआ था, वो भी रमजान के पाक महीने में. सभी इफ्तार की नमाज़ अदा कर रहे थे और एक जबरदस्त धमाका हुआ था. मैं इन लोगों से पूछना चाहता हूँ, की यहाँ ये ये ब्लास्ट क्यूँ हुआ था. यहाँ तो सभी खुदा की इबादत कर रहे थे, जिस खुदा के लिए आप लड़ाई लड़ रहे हैं, ये निर्दोष तो उन्हें ही याद कर रहे थे. फिर क्यूँ यहाँ ब्लास्ट किया आपने? अगर आप मुसलामानों का खुद को बहुत बड़ा हितेषी मानते हैं तो अजमेर शरीफ और जामा मस्जिद में क्यूँ ब्लास्ट किया था? ज़रा इसका जवाब देंगे आप की वहां कौन मारा गया था, वही हमारे निर्दोष मुसल्मान भाई.
मेरे विचार में यहाँ पर आप लोगों के सामने तस्वीर पूरी तरह से साफ़ है की आतंकवादियों का कोई कौम या कोई धर्म नहीं होता. इनका एक अलग ही धर्म है आतंकवाद. दुनिया में आतंकवादी जहाँ भी हैं वो किसी इस्लाम, सिख या हिन्दू धर्म से सम्बन्ध नहीं रखते हैं. उनका अलग ही धर्म है जिसका नाम है 'आतंकवाद" और उनकी पवित्र किताब बम है. वही बम जो किसी की जाती या धर्म देख कर नहीं फटती. यहाँ मैं राजनेताओं को भी कहना चाहूँगा की धर्म की राजनीती में अपना वोट भुनाना थोडा कम करे दें साथ ही शाहरुख़ खान जैसी बड़ी हस्ती से कहना चाहूँगा की आप लोग तो राजनेता से भी अच्छी राजनीति कर लेते हैं. अपनी फिल्म को चलाने का क्या शानदार शगूफा पाकिस्तानी खिलाडियों के रूप में छोड़ा और आपकी फिल्म 'माई नेम इज खान' बन गयी, अब तक सबसे ज्यादा चलने वाली फिल्म. उसके बाद वापस मुंबई आने के बाद तो आप ऐसे शांत हो गए जैसे "गधे के सर से सींग गाएब हो गया हो". वैसे जनता तो बेवकूफ है, इन्हें पता ही नहीं चला की आप तो अपनी फिल्म की मार्केटिंग कर रहे हैं और जनताओं की भावनाओं से खेल रहे हैं. पाकिस्तानी क्रिकेटर के विवाद में तो आपने अपनी फिल्म चलाने के लिए जम के बयानबाजी कि, खुद को शिकागो में रोके जाने पर भी अच्छा ख़ासा मीडिया में हंगामा किया था. पर आप जैसे बड़े स्टार अगर कभी लादेन के खिलाफ मीडिया के सामने ऐसा बयान दे देंगे तो शायद इसका आम जनता में व्यापक असर पड़ेगा. प्रेस कांफ्रेंस बुला कर अगर आप जैसे स्टार सीधा लादेन को अपनी बात कहें की "ये देखो तुम्हारे कारण हमें क्या-क्या झेलना पड़ रहा है" मुझे पता है ये बड़ी बचकानी से बात मैं कह रहा हूँ लेकिन सरकार को दोष देने के बजाय हमारा भी तो कुछ कर्तव्य है. मुझे पता है इन बातों से तो लादेन जैसे लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ेगा, पर अगर सब मिल कर हर बार ये बोलना शुरू कर देंगे तो शायद कुछ फर्क पड़े. कम से कम लादेन को नहीं पर उनको सही मानने वालों की संख्यां भी तो कम होगी. जब गाँधी जी निहत्थे अंग्रेजों से भारत को आज़ाद करने की बात करते थे तो लोग ऐसे ही उन्हें कहते थे की ये असंभव है, पर आखिर ये संभव कर दिखाया न उन्होंने. इसलिए अंततः मेरा इन सारे सितारों से अनुरोध है की ये कदम आप उठायें. ये ज़रूरी नहीं है की सिर्फ फ़िल्मी हस्ती ही आगे आयें. वो सभी मुसलमान भाई जो आज विश्व के सामने एक प्रसिद्धि हासिल किये हुए हैं, चाहे वो किसी भी क्षेत्र से सम्बन्ध रखते हों, सब आगे बढ़ें और एक एक करके अपनी बात इन आतंकवादी संगठनों तक पहुचाएं. फिर शायद वो दिन भी दूर नहीं होगा की कुछ तो बदलाव आयेगा. कम से कम निर्दोष मासूम तो इनके बहकावे में नहीं आयेंगे.
Congrats to write your opinion using blog.
जवाब देंहटाएंThings happening around us are right or wrong, we must anallise about it. And should start to minimize those threats or other wrong activity, rather trying to remove Wrong Activity from Top to Bottom.
this is absolutely right, 9/11 has done more damage to Muslim community then any natural calamity could ever do, everybody now eyes them with suspicion and hostility. And this act of terrorism hasn't just destroyed 2000 lives but humiliated the ethos of an entire race for the rest of their existence period.
जवाब देंहटाएंabsolutely right. go ahed i agree wt you.
जवाब देंहटाएंVery true. Every normal person is thinking like the same, but no action and this is also true.
जवाब देंहटाएंv.nice
जवाब देंहटाएंkeep it up.
:-)