कल मैंने मुलायम सिंह जी का बयान अख़बार में पढ़ा कि "अगर महिला आरक्षण लागू हो गया तो संसद भवन में सिर्फ सीटियाँ ही बजेगी". सच कहूँ तो मैंने तय किया था कि "मैं आरक्षण पर कुछ भी नहीं लिखूंगा. क्यूंकि हर किसी का इसपर अपना मत है और हर एक व्यक्ति अपने मतानुसार उचित है. इसलिए मैं इस वाद-विवाद में पड़ना नहीं चाहता था." परन्तु मुलायम सिंह के कल के बयान ने मुझे सोचने पर मजबूर करवा दिया है कि ये राजनेता देश कल्याण कि बात कभी सोचते भी हैं या नहीं? ये बिलकुल भूल गए कि जिस देश कि महिला के बारे में अपशब्दों का प्रयोग कर रहे हैं उसी देश को हम "माता" कह के बुलाते हैं और तो और आज उन्होंने फिर से कहा कि मैं जो कह रहा हों बिलकुल सही कह रहा हूँ और इसके लिए मैं किसी से माफ़ी भी नहीं मांगूंगा.
मैं मुलायम सिंह जी से पूछना चाहूँगा कि इस तरह का बयान देते समय उन्होंने ये नहीं सोचा कि अगर उनकी पुत्रवधू जो राज बब्बर से चुनाव हार गयी, वो अगर संसद में होती और ऐसी हरकत हो जाये तो उन्हें कैसा लगेगा. इस तरह के शब्दों के प्रयोग के लिए मैं आप सबसे माफ़ी मांगता हूँ, पर लोगों को हर चीज़ पहले अपने ऊपर ले कर सोचना चाहिए, तब कुछ कहना चाहिए. जो बात आपके लिए बुरी है वही बात दूसरों के लिए भी तो बुरी हो सकती है. इस तरह का बयान देने वाला व्यक्ति किसी प्रदेश का मुख्यमंत्री कैसे हो सकता है. मैं तो समझता हूँ कि देश के सबसे बड़ी विडम्बना थी जब ये हमारे रक्षा मंत्री बने थे. जो व्यक्ति महिलाओं के बारे में ऐसा सोचता हो वो उनकी रक्षा के बारे में क्या सोचेगा.
मुलायम सिंह जी, समाजवादी कि राजनीति करने वाले हैं. जब देखो समाजवाद का ढोंग करके अपने पूरे कुनबे को पार्टी के महत्वपूर्ण पदों पर आसीन किये हुए हैं. इनकी पूरी पार्टी में कही इनका बेटा है, तो कहीं भाई तो कही पुत्रवधू. ये हैं समाजवादी पार्टी. असल में इसका नाम होना चाहिए समाज के बाद कि पार्टी यानी "परिवारवाद पार्टी".
अब ज़रा आरक्षण कि बात अगर करें तो ये किस आरक्षण का दिखावा कर रहे हैं. सही मायनो में देखा जाये तो इसका फायदा किन वर्गों को होगा, किसी ने नहीं सोचा? बस सभी लगे पड़े हैं अपनी राजनीति करने में. कांग्रेस और भाजपा, महिलाओं को सशक्त बनाने कि बात कर रही हैं आरक्षण के नाम पर, इधर लालू यादव, मुलायम सिंह और शरद यादव उसमे पिछड़ों को आरक्षण देने के मांग कर रहे हैं. यहाँ लोगों को करना कुछ नहीं है बस अपनी राजनीति कि रोटी सेंकनी है.
अब ज़रा हम अब तक चली आ रही आरक्षण व्यवस्था पर अगर नज़र डालें तो एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि सरकार द्वारा दिया जा रहा हरिजन और आदिवासी आरक्षण का फायदा सिर्फ शहर के संभ्रांत परिवार ही उठा रहे हैं. गाँव के हरिजन आदिवासी अभी तक उसी हालत में है. अब इन नेताओं को कौन समझाएगा कि पहले उनके जीवन स्तर को ठीक करने कि बात सोचे. जिस गाँव में स्कूल और कॉलेज नहीं है वहां इसकी व्यवस्था करे. एक अभियान चलाया जाये जिसमे इन्हें बताया जाये इन्हें जागृत किया जाये कि इनका पढ़ा-लिखा होना कितना आवश्यक है. तब इस तरह के आरक्षण का फायदा है और मेरे विचार में सही आरक्षण का आधार यही है. आरक्षण का मतलब होना चाहिए कि ऐसे ही लोगों को मुख्य धरा में लाना जो इन सबसे कोसों दूर हैं. न कि वो लोग जो संभ्रांत होते हुए भी अभी तक इस आरक्षण का फायदा उठा रहे हैं.
आरक्षण हो या न हो इसपर बहस तो बाद में कीजिये पर सबसे पहले ये देखने कि कोशिश करें कि जिस वर्ग को आप ये सुविधा देना चाह रहे हैं क्या वो इनसे लाभान्वित हो रहे हैं. आज हम महिला आरक्षण कि बात कर रहे हैं पर ये भी सोचें कि इससे किन महिलाओं को लाभ होगा? शायद मैं इन नेताओं कि जानकारी के लिए बता दूं कि भारत कि 15 साल से उपर कि महिलाओं में करीब 40% अभी तक अशिक्षित हैं. मेरे विचार में पहले हम इन्हें शिक्षित करें फिर इनके आरक्षण कि बात करें तो बेहतर होगा. वरना फिर से ये महिलाएं बिकास से कोसों दूर रह जाएँगी और फायदा होगा उन्ही फायदेमंद लोगों को और अगर सिर्फ राजनीति ही करनी है तो कोई बात नहीं. फिर क्या फर्क पड़ता है कि कौन लाभान्वित हो रहा है और कौन नहीं.
पर मेरा नम्र निवेदन है उन तमाम राजनेताओं से कि आप लोग बड़े भाग्यशाली हैं कि आपको देश कि सेवा का मौका मिला है. जनता सैकड़ों सपने बुन कर आपको वहां तक पहुंचाती है तो कृपया कुछ ऐसा न करें कि लोकतंत्र शर्मशार हो. क्यूँ न आप कुछ ऐसा करें कि हम जनता को फक्र महसूस हो और हम गर्व से कह सकें कि इन्हें हमने वोट किया है.
gud article sir... even i was anoyed with mulayam ji's statement.... i wish i could pass your article to him so that he should know that 21st centuary;s Technology generation do respect for women where as most of the politicians believe and propagate them as illcultured and irrisponsible.... this article will atleast make such people think about ouestion of woman's prestige , respect and security in our society...
जवाब देंहटाएंif possible thn pls paas this to mulayam ji, bcoz he shld know wat mango ppl think about it & thanx 4 appreciation. but u know, we hv to start thinking about it thn politicians will think about us & our country.
जवाब देंहटाएंachcha hai dost likhte raho, bhadiya hai.
जवाब देंहटाएंTats really nice n very provocating ,if ppl started thinking over tat then ,I m sure for next time non of our politician dare to pass such trivial comment.
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