माया चाहे दौलत की हो या दलितों की, ये हमेशा मायावी ही होती है. ये मुझे पिछले 15 मार्च को पता चला जब दलितों की माया ने अपनी एक विराट रैली में दौलत की माया का रूप धारण किया. वैसे एक ज़माना था जब मैं भी कांशी राम को दलितों का मसीहा समझता था. उन्होंने दलितों के जीवन स्तर को सुधारने का अनवरत प्रयास किया. शायद उन्ही की मेहनत की वजह से आज मायावती दौलत की माया बन गयी हैं और वो संघर्ष करते हुए इस दुनिया से चले गए. लेकिन इन्हें ये पता नहीं है की ये अगर माया हैं, तो जनता दौलत से भी ज्यादा मायावी है.
जिस दिन मायावती करोड़ों रुपये कि माला धारण करके लखनऊ में अपनी सभा संबोधित कर रही थी उस दिन उन्हें ज़रा भी याद नहीं रहा कि ये शायद उनके प्रदेश का सबसे काला दिन है क्यूँकि उन दिनों बरेली में दंगे हो रहे थे. बरेली कि जनता कर्फ्यू के साए में जी रही थी. एक तरफ लखनऊ नीली रौशनी से जगमगा रहा था वही दूसरी ओर बरेली में अजीब सा सन्नाटा पड़ा हुआ था. पर इन्हें क्या मतलब ये तो अपनी रैली करेंगी. रैली में जहाँ 200 करोड़ रुपये खर्च हुए तो शायद इन पैसों से बरेली के कई उजड़े हुए घर आबाद हो सकते थे. लेकिन इन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता क्यूँकि चुनाव अभी बहुत दूर है.
अगर यहाँ सिर्फ मायावती की ही बात कही जाए तो इनकी पहचान क्या है? देश इन्हें किस रूप में जानता है, कि ये देश के बहुत बड़े राज्य उत्तर प्रदेश कि मुख्य मंत्री हैं? मैं समझता हूँ कि इससे पहले देश इन्हें दलितों के बहुत बड़े नेता के रूप में जानता है. ये देश कि एक ऐसी नेता हैं जो दलितों का प्रतिनिधित्व करती हैं और इन्ही सब चीज़ को भुना के आज ये उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री बन गयी. पर इनके मुख्य मंत्रित्व काल में उत्तर प्रदेश के दलितों के हालत के बारे में मेरे पास कुछ जानकारियां हैं जो आपके समक्ष बांटना चाहता हूँ. ये सारी घटनाएँ 2008-2009 के बीच कि ही हैं-
फरवरी 26 को इटावा के एक थानेमें मामला दर्ज हुआ है कि "एक आठ साल कि दलित लड़की को 280 रूपया चुराने के इलज़ाम में बालों से घसीट कर थानेमें लाया गया, और देश के सभी न्यूज़ चैनेल पर लोगों ने इसे देखा था.
दिसम्बर 9,2009 को एक और मामला सामने आया जिसमे चार लोगों ने एक सत्तर साल कि दलित महिला का बलात्कार किया था. उसके बेटे और बहु को पैरों में गोली मार दिया गया क्यूंकि वो इस महिला को बचाने कि कोशिश कर रहे थे.
फरवरी 10, 2009 का एक और मामला है जिसमे बंद जिला के गिरवान गाँव में एक सात साल के दलित लड़की का बलात्कार हुआ.
इस तरह से अगर मैं एक दलित मुख्य मंत्री के शासनकाल का विवरण देना शुरू कर दूंगा तो आप स्तब्ध रह जायेंगे और सोचने पर मजबूर हो जायेंगे कि क्या एक दलित महिला का प्रदेश कि मुख्य मंत्री होने के बाद भी दलित महिलाओं पर इतना अत्यचार कैसे हो रहा है? इसके पीछे बस एक ही कारण है, कि मायावती की माया दलितों के लिए बस वोट लेने तक ही है और अब ये दौलत कि माया बन गयी है. मानवाधिकार आयोग के रिपोर्ट में तो यहाँ तक कहा गया है कि गत दिनों जितने भी केस दर्ज हुए हैं उनमे अधिकतम दलित अत्याचार के ऊपर ही हैं. लेकिन मायावती जी को यह सब जानने समझने कि फुर्सत कहाँ है. मैं तो बस इतना जानता हूँ कि संसार में बस दो जातियां होती है. एक पैसेवालों कि दूसरी गरीबों की. इसलिए मैं उत्तर प्रदेश कि अवाम को सचेत करना चाहता हूँ कि जो भी गरीब या दलित मायावती जी के भरोसे हैं अब उन्हें भूल जाएँ. क्यूंकि मायावती जी ने अब अपनी जाति बदल ली है.
रैली में मायावती ने जिन नोटों कि माला पहनी है, कहा जाता है कि ये करीब पांच करोड़ कि माला बनी थी जिसमे सभी हज़ार हज़ार के नोट लगे हुए थे. मैं यहाँ ये जानना चाहता हूँ कि क्या सरकार जांच कर रही है कि ये पैसे कहाँ से आये हैं? बताया जाता है कि माला को खूबसूरत बनाने के लिए इसके किनारों को लाल रंग से रंगा गया था. क्या आर. बी. आई. के तहत इनपर मुकदमा नहीं चलना चाहिए. क्यूंकि जहाँ तक मेरी जानकारी कहती है कि अगर आप नोट पर कुछ लिखते हैं या किसी अन्य तरीकों से भी इसकी वर्तमान अवस्था को भिन्न करने कि कोशिश कि जाती है तो ये संगीन अपराध माना जाता है.
वैसे इन सब से मैडम मायावती को क्या फर्क पड़ता है. अगर एक ब्यौरा इनकी संपत्ति पर डाले तो खुद मैं आश्चर्य चकित हो जाता हूँ. सीबीआई कि चार्जशीट के हिसाब से मायावती के पास 74 प्रोपर्टी खेती वाली ज़मीन इनके परिवार वालों के नाम से हैं, 16 अवासीय प्लाट हैं, 5 जंगल के लिए ज़मीन है साथ ही 2 दुकाने और 3 बगीचा है. जिसकी कीमत अंदाज़न 6.93 करोड़ आंकी गयी है. इसके अलावा 12.98 करोड़ रुपये इनके पास दान के द्वारा करीब 130 दानदाताओं से मिले थे पर सीबीआई को बड़ी मेहनत करने के बाद सिर्फ 30 दानदाता ही मिले हैं. एक बात आपको मैं यहाँ और बताना चाहूँगा कि मायावती जी का दिल्ली के महरोली में करीब चार एकड़ का प्लाट है जिसकी कीमत इन्होने 10लाख रुपये कागजों में दिखाया है. तो आप खुद ही इससे ऊपर 6.93 करोड़ आंकड़े का मतलब समझ सकते हैं अगर महरोली कि ज़मीन १०लाख कि है तो.
अंततः मैं वापस राजनीति कि उसी दहलीज पर पहुँच गया हूँ और सोचने पर मजबूर हो गया हूँ कि क्या है इस राजनीति का भविष्य? सच कहूँ तो मुझे कोई जवाब नहीं मिल रहा है. क्या हम ऐसे ही चुप बैठ कर तमाशा देखते रहेंगे, या मैं बस अपना ब्लॉग लिख कर ही खुश होता रहूँगा कि चलो मेरा तो काम पूरा हो गया? फिर मैं सोचता हूँ, कि नहीं एक दिन आएगा जब सिर्फ इसपर बहस नहीं होगी बल्कि इसे सुधारने हम और आप आगे आएंगे. तो शायद अब इंतजार इसी बात का है कि पानी नाक से ऊपर हो जाए.....

aapke man ki vyatha hum sabke man ki vyatha hai
जवाब देंहटाएंdhanyabaad mere man ki vyatha samjhe ke liye...... :-)
जवाब देंहटाएंabe myawati nodia se bhar nikal degi.aur kaise hain rajniti main aane ka man bana raha hain kya
जवाब देंहटाएंmayavati aksar aise hi karti hai..!!ब्लाग जगत में आपका स्वागत है..!लिखिए और साथ ही में पढ़ते भी रहिये!मेरी शुभकामनायें!!!
जवाब देंहटाएंSach..TV pe noton kee mala pahne, Mayawati ko dekh ghruna mahsoos huee...Samajh nahi pati hun, Up jitne bade rajy me Mayawati aur Mulayam ke siva aur loghi nahi bache jo netrutv kar saken?
जवाब देंहटाएंMayawati tatha uske chelon ki harkaten dekh sharm aati hai!
जवाब देंहटाएं@ ankit,rajnish,shama & jairam thanx to giving ur comment on this article. rajnish, i always write on current issues. shama, as u said something i just wana say, why we wait 4 that dirty politicians.this is the correct time to enter in politics bcoz politicians r dirty not politics. jairam, thanx 4 nice lines & its complete fact also
जवाब देंहटाएंye sab kya hai!!! kya kar rahaa hai aajkal...I beleive this is surely ahidden talent you having.
जवाब देंहटाएंtum cbi kyn nahi join karte ho???
जवाब देंहटाएंइस नए चिट्ठे के साथ हिंदी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. नियमित लेखन के लिए शुभकामनाएं !!
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