संग थे जहां ॐ और अज़ान
धर्म से बड़ा था जहां ईमान
कहाँ खो गया मेरा वो हिन्दुस्तान...
दिवाली, ईद दोनो थी हमारी शान
जहां संग रहते थे राम और रहमान
जब सिर्फ भाईचारा थी हमारी शान
कहाँ खो गया मेरा वो हिन्दुस्तान...
माँस की लड़ाई में बंटे हिन्दू मुसलमान
न जाने दिल में क्या पल रहे अरमान
इन्सानों को बंटते देख रो रहा आसमान
कहाँ खो गया मेरा वो हिन्दुस्तान...
चाँद से भी न कुछ सीख सका ये इंसान
शीतल ही है, करवाचौथ हो या रमज़ान
खो के इंसानियत ये बने हिन्दू मुसलमान
कहाँ खो गया मेरा वो हिन्दुस्तान...
