उस समय तो हम एक ही झलक से रावण को पहचान लेते थे, क्यूंकि वो दस सिर लेकर घूमता था। पर आज का रावण जिसे पहचान पाना बहुत मुश्किल है और उसके दस सिर भी नहीं होते। अभी सबसे बड़ा उदहारण साधू के रूप में घुमने वाला आसाराम है। कम से कम रावण के बारे में हर कोई जानता था कि वो दुराचारी राक्षस है। पर ऐसे रावण जो साधू का भेष धर के रावण से भी आगे निकल चुके हैं तो ऐसे में सीता कहाँ सुरक्षित रह सकती है। वो रावण तो साधू का भेष धर के सीता का अपहरण किया पर सीता को अशोकवाटिका में रखा क्यूँकि उनके पति वनवास काट रहे थे और रावण नहीं चाहता था कि सीता के पतिव्रता धर्म पर कोई आंच आये। वो चाहता तो ज़बरदस्ती सीता को महल में रख सकता था पर ऐसा कभी नहीं किया। पर आजकल के इस साधूरूप में छुपे रावण को देखकर तो ऐसा लगता है कि अगर साक्षात् श्रीराम भी धरती होते तो इन्हें देखकर वो खुद भी शर्मसार हो जाते। अब तो ऐसा लगता है जैसे वक़्त आ गया है कि हम जागरूक हो जाएँ और इस साधुरूपी रावण को महिमामंडित करने के बजाये दण्डित करने की शुरुआत करें। तभी हमारे समाज और देश का भला होना संभव है।
शुक्रवार, 18 अक्टूबर 2013
असली रावण कौन...?
उस समय तो हम एक ही झलक से रावण को पहचान लेते थे, क्यूंकि वो दस सिर लेकर घूमता था। पर आज का रावण जिसे पहचान पाना बहुत मुश्किल है और उसके दस सिर भी नहीं होते। अभी सबसे बड़ा उदहारण साधू के रूप में घुमने वाला आसाराम है। कम से कम रावण के बारे में हर कोई जानता था कि वो दुराचारी राक्षस है। पर ऐसे रावण जो साधू का भेष धर के रावण से भी आगे निकल चुके हैं तो ऐसे में सीता कहाँ सुरक्षित रह सकती है। वो रावण तो साधू का भेष धर के सीता का अपहरण किया पर सीता को अशोकवाटिका में रखा क्यूँकि उनके पति वनवास काट रहे थे और रावण नहीं चाहता था कि सीता के पतिव्रता धर्म पर कोई आंच आये। वो चाहता तो ज़बरदस्ती सीता को महल में रख सकता था पर ऐसा कभी नहीं किया। पर आजकल के इस साधूरूप में छुपे रावण को देखकर तो ऐसा लगता है कि अगर साक्षात् श्रीराम भी धरती होते तो इन्हें देखकर वो खुद भी शर्मसार हो जाते। अब तो ऐसा लगता है जैसे वक़्त आ गया है कि हम जागरूक हो जाएँ और इस साधुरूपी रावण को महिमामंडित करने के बजाये दण्डित करने की शुरुआत करें। तभी हमारे समाज और देश का भला होना संभव है।
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